Haratalika Teej 2023 and Hariyali Teej 2023 Mein Kab Hai
सावन और भाद्रपद महीने से संबंधित तीन प्रमुख तीज त्योहार हैं - हरियाली तीज, हरतालिका तीज, और कजरी तीज। लोग अक्सर हरियाली तीज और हरतालिका तीज के बीच में भ्रांति महसूस करते हैं। इस लेख में, हम इन दोनों त्योहारों के बीच के अंतर और उनकी सही तारीखों की जानकारी प्रदान करेंगे।
हरियाली तीज और हरतालिका तीज 2023 में कब है?
हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो सावन मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन पड़ता है, और हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।
ध्रुव पंचांग के अनुसार, इस साल हरियाली तीज 19 अगस्त को पड़ रही है। तृतीया तिथि 18 अगस्त को रात 8:01 बजे शुरू होगी और 19 अगस्त को 10:19 बजे समाप्त होगी। वहीं, हरतालिका तीज 18 सितंबर को है, और सुबह का शुभ मुहूर्त 6:07 से 8:34 तक रहेगा। तृतीया तिथि 17 अगस्त को रात 11:08 बजे शुरू होगी और 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे समाप्त होगी।
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है?
हरियाली तीज और हरतालिका तीज के बीच अक्सर भ्रांति होती है क्योंकि इन दोनों त्योहारों की रीतिरिवाज बहुत समान होती है। हालांकि, हरियाली तीज हरतालिका तीज से एक महीने पहले आती है। हरियाली तीज भगवान शिव और माँ पार्वती के मिलन को मनाती है। किंतु कहा जाता है कि यह वह दिन था जब भगवान शिव ने 107 जन्मों तक की तपस्या करने वाली माँ पार्वती को स्वीकार किया। उनका 108वां जन्म था जब देवी पार्वती ने अखिरकार उसे प्राप्त किया और वह तीज माता के रूप में भी जानी जाती हैं।
इस बीच, हरतालिका तीज उस दिन को चिह्नित करती है जब देवी पार्वती की सहेलियों ने उनका अपहरण कर लिया और उन्हें गहरे जंगलों में ले आईं। वे उसे उसके पिता से दूर करने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि वह उसका विवाह भगवान विष्णु से कराने पर तुला हुआ था। माँ पार्वती ने जंगल में अपनी तपस्या जारी रखी और अंततः भगवान शिव से विवाह किया।
हरतालिका तीज 2023 की तारीख और इसका महत्व
हरतालिका तीज भारतीय पार्वपरिक त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में विशेष रूप से उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार कांवरा चौथ और हरतालिका तीज के बीच आता है।
हरतालिका तीज 2023 की तारीख:
वर्ष 2023 में हरतालिका तीज की तारीख 30 अगस्त है।
हरतालिका तीज का महत्व:
हरतालिका तीज का महत्व पति-पत्नी के जीवन में प्रेम और साथी की लंबी आयु की कामना के लिए है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह से ही नमक और अन्न का त्याग कर देती हैं।
इस त्योहार का इतिहास भगवान शिव और माता पार्वती की प्रेम कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि माता पार्वती ने अपनी इच्छित पति भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इसी दिन कठोर तपस्या की थी।
इस त्योहार के दिन व्रती महिलाएं हरा-भरा वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं और साथ ही अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण की भावना से पूजा आयोजित करती हैं।